यदि पसंद है तो हमसफर बनें

Showing posts with label navratra. Show all posts
Showing posts with label navratra. Show all posts

27 September, 2009

शुभ नवरात्र-मां को करें प्रसन्न-मां सिद्धिदात्री




या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

आज नवरात्र के नवें दिन पूजा होती है आदिशक्ति के नवें रूप सिद्धिदात्री की। आठ सिद्धियां देने वाली मां सिद्धिदात्री को शाकम्भरी देवी के नाम से भी जाना जाता हैं। मां का आसन कमल है और मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। दाहिने ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बाई तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है। कहते हैं सिद्धिदात्री को जिसने प्रसन्न कर लिया उसकी कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती और सच्चा साधक ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने से भी पीछे नहीं रहता। 

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियाँ होती हैं।

माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।

सिद्ध गंधर्व यक्षाघैर सुरैरमरैरपि।
सेव्यामाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

ये मां सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र है।

माणिक्य वीणाम् मुबलालयंतीम् मदालसाम् मंजुल वाक् विलासाम्।
माहेंद्र नीलज्जुति कोमलांगीम् मातंगकन्याम् मनसास्मरामि।।

मां सिद्धिदात्री का प्रार्थना मंत्र है।

इन मंत्रों से मां को प्रसन्न करें।

मां सिद्धिदात्री का मूल मंत्र है-

धनुर्धराय विद्महे सर्वसिद्धि च धीमहि
तन्नो धरा प्रचोदयात्।

तो नवरात्र के नवें दिन पूजा होती है सिद्धिदात्री देवी की।

आपका अपना
नीतीश राज

26 September, 2009

शुभ नवरात्र-मां को करें प्रसन्न-मां महागौरी




या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

आज नवरात्र का आठवां दिन है और आठवें दिन पूजा होती है मां महागौरी की। आठवीं शक्ति का रूप महागौरी जो हरती हैं सभी के कष्ट। मां महागौरी का वर्ण पूर्णत: शंख और चंद्रमा के समान गौर है। इनके समस्त वस्त्र, आभूषण भी सफेद रंग के हैं।

पार्वती रूप में मां ने प्रतिज्ञा ली कि वो भगवान शिव को पति-रूप में पाएंगी।

जन्म कोटि लगि रगर हमारी।
बरऊं संभु न त रहऊं कुंआरी।।

इस के लिए मां पार्वती ने कठोर तपस्या भी की। इस कठोर तप के कारण उनका रंग बिल्कुल काला पड़ गया। भगवान शिव प्रसन्न हुए और गंगा जी के जल से जब पार्वती मां को धोया तब उनका शरीर विद्युत प्रभा के समान अत्यंत गौर हो उठा और तब से महागौरी नाम पड़ा।

महागौरी भी चार भुजाओं वाली हैं। इनके दाहिने ओर का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है। नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे वाला बायां हाथ वर मुद्रा में है।

महागौरी की पूजा-उपासना करने से धुल जाते हैं सभी पाप।

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:
महागौरी शुभंदद्यान्महादेव प्रमोददा।।

ये है महागौरी का ध्यान मंत्र।

गौरी मिमाय सलिलानि तक्षेक्पदी द्विपदी सा चतुष्पदी।
अष्टापदी नवपदी बर्भुवूशी स:स्वाक्षरा परमे व्योमन्।।

ये है महागौरी के लिए प्रार्थना मंत्र।

तो नवरात्र के आठवें दिन पूजा होती है महागौरी देवी की।

आपका अपना
नीतीश राज