तेरा साथ रहा है ऐसे
विष रस भरा कनक घर जैसे
सारी दुनिया कहे जहर है
मैं पी जाऊं मीरा जैसे।
प्यार किया है मैंने ऐसे
राधा, श्याम को चाहे जैसे,
विरह में तेरे जलती हूं ऐसे
बिना राम के सीता जैसे।
तेरे सिवा कोई और नहीं है,
और किसी को चाहूं कैसे।
(ये कविता मेरी निजी डायरी में लिखी हुई थी। ये रचना इसमें कैसे आई पता नहीं क्योंकि उसमें मेरी लिखी रचना ही होती है। ये कब लिखी गई मुझे तो ये भी याद नहीं।)
आपका अपना
नीतीश राज
बहुत उम्दा भाव!!
ReplyDeleteवाह !!! बहुत बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteपंक्ति ...... विष रस भरा कनक घर जैसे.... में मेरे ख़याल से घट के स्थान पर घर टाईप हो गया है...एक बार देख लें.
mujhe bahut achchhi lagi ye rachna
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