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12 September, 2008

क्या कहूं अनजान हूं पर


क्या कहूं अनजान हूं,
पर जानना चाहता हूं मैं,
जानना चाहता हूं, कि,
तुम क्या सोचती हो?

उस बारे में, जिस बारे में,
मैं, अभी तक अनभिज्ञ हूं
उस पीड़ा के बारे में,
जिसकों सहा है सिर्फ नारी ने।
वो दर्द होता है अपना, पर,
उसकी महक होती सब जगह
उसकी महक से महकता गुलशन,
महकती सारी जमीं
एक जन्म से,
तुम महकी, हम महके
महका सारा संसार।
...............
आपका अपना
नीतीश राज
(फोटो सभार गुगल)