क्या कहूं अनजान हूं,
पर जानना चाहता हूं मैं,
जानना चाहता हूं, कि,
तुम क्या सोचती हो?
उस बारे में, जिस बारे में,
मैं, अभी तक अनभिज्ञ हूं
उस पीड़ा के बारे में,
जिसकों सहा है सिर्फ नारी ने।
वो दर्द होता है अपना, पर,
उसकी महक होती सब जगह
उसकी महक से महकता गुलशन,
महकती सारी जमीं
एक जन्म से,
तुम महकी, हम महके
महका सारा संसार।
...............
पर जानना चाहता हूं मैं,
जानना चाहता हूं, कि,
तुम क्या सोचती हो?
उस बारे में, जिस बारे में,
मैं, अभी तक अनभिज्ञ हूं
उस पीड़ा के बारे में,
जिसकों सहा है सिर्फ नारी ने।
वो दर्द होता है अपना, पर,
उसकी महक होती सब जगह
उसकी महक से महकता गुलशन,
महकती सारी जमीं
एक जन्म से,
तुम महकी, हम महके
महका सारा संसार।
...............
आपका अपना
नीतीश राज
(फोटो सभार गुगल)
क्या कहूं अनजान हूं,
ReplyDeleteपर जानना चाहता हूं मैं,
जानना चाहता हूं, कि,
तुम क्या सोचती हो?
उस बारे में, जिस बारे में,
मैं, अभी तक अनभिज्ञ हूं
उस पीड़ा के बारे में,
जिसकों सहा है सिर्फ नारी ने।
bahut sunder....
or photo....cochi coh
प्यारी फोटो और सुन्दर रचना के लिए बधाई।
ReplyDeleteउसकी महक से महकता गुलशन,
ReplyDeleteमहकती सारी जमीं
एक जन्म से,
तुम महकी, हम महके
महका सारा संसार।
फोटो ने मन मोह लिया और कविता बहुत अच्छी भाव पूर्ण है
आपने सही कहा-
ReplyDeleteमैं, अभी तक अनभिज्ञ हूं
उस पीड़ा के बारे में,
जिसकों सहा है सिर्फ नारी ने।
और इस दर्द को ठीक से महसूस करने की लिए अगले जनम में नारी के रूप में जन्म लेना पड़ेगा। और मुझे नहीं लगता कि कोई ऐसी हिम्मत दिखाएगा।
ye peedha to ek nari ki hai
ReplyDeletesahan shakti main wahi aage hain
bhaut ghari kavita
बहुत ही सुन्दर ओर चित्र के साथ आप की कविता मे चार चांद लग गये ,धन्यवाद
ReplyDeletekavita निश्चित ही सराहनीय है.
ReplyDeleteकभी समय मिले तो हमारे भी दिन-रात आकर देख लें:
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/
वाह क्या बात है भाई.. साधुवाद..
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