यदि पसंद है तो हमसफर बनें

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03 September, 2008

जी लो, जिंदगी एक बार फिर।



तुम चुप क्यों हो,
क्यों हो उदास तुम,
कहां चली गई है हंसी तुम्हारी।

पहले तो हंसती थी तुम,
तुम करती थी खूब बातें,
बोलती, तो चुप ना होती थी तुम।

माना चांद पर दाग है
तुम्हारे चेहरे पर ना था कोई दाग
अब क्यों मुरझा गया है फूल ये।

मेरे लिए ना सही
खुश रहो खुद के लिए
जी लो, जिंदगी एक बार फिर।

आपका अपना
नीतीश राज
(फोटो साभार-गूगल)