या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
आज नवरात्र का सातवां दिन है और सातवें दिन पूजा होती है मां कालरात्रि की। कालरात्रि मां जिनका रूप बड़ा ही भयानक है पर जो भी उनकी पूजा करता है उसको हमेशा फल प्राप्त होता है, तेज बढ़ता है, दुश्मनों का नाश होता है, पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही दूर भागने लगते हैं भय।
मां का रूप बड़ा ही भयानक है। मां कालरात्रि के सिर के बाल बिखरे हुए हैं। कालरात्रि देवी के तीन नेत्र और चार भुजाएं हैं। ब्रह्मांड के समान गोल नेत्रों से चमकीली किरणें फूटती रहती हैं। मां कालरात्रि जब सांस लेती हैं या सांस छोड़ती हैं, तो उनकी नासिका से आग की भयानक लपटें निकलती रहती हैं। लेकिन जो भी उनकी पूजा करता है वो जिंदगी में कभी भी विफल नहीं होता।
मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। ऊपर वाला दाहिना हाथ वर मुद्रा में है, जिससे वो सभी को वर प्रदान करती हैं। उनका नीचे वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में हैं। दाहिने हाथ से वो करती हैं भक्तों का उद्धार और बाएं हाथ से वो करती हैं दुष्टों का संहार।
मां कालरात्रि के लिए ये है ध्यान मंत्र-
मां को प्रसन्न करने के लिए
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी।।
वाम पादोल्लसल्लोह लताकंटकभूषणा।
अब बात कर लेते हैं प्रार्थना मंत्र की-
कालिकायै च विद्महे श्मशान वासिन्यै च धीमहि तन्नो अघोरा प्रचोदयात्।
ऊं तारायै च विद्महे महोग्रायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।।
मां को प्रसन्न करने के लिए मूल मंत्र-
ऐं ह्नीं श्रीं ऐं क्लीं सौ: ऊं नमो भगवती नम:।।
तो नवरात्र के सातवें दिन पूजा होती है कालरात्रि देवी की।
आपका अपना
नीतीश राज
नवराते की मंगलकामनाएँ.
ReplyDeleteनवरात्र विजयोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाये.
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