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17 June, 2009

अब सब फसाना है

दोपहर की धूप से बचने
मेरे कमरे मे आना
वो तेरा एक बहाना था।
पास तुम तो थी
वरना सब अफसाना था।

तेरी जुल्फों की छांव में
तेरी गोद में सर रखना
वो तेरा एक बहाना था।
पास तुम तो थी
वरना सब अफसाना था।

मेरे बालों को सहलाना
साथ मेरे हमेशा रहना
वो तेरा एक बहाना था।
पास तुम तो थी
वरना सब अफसाना था।
आज भी वो तपती दोपहर है
आज भी है वो मेरा कमरा
आज भी है एहसास तेरा,
पर...पास नहीं हो तुम,
बस...अब सब फसाना है।

आपका अपना
नीतीश राज