यदि पसंद है तो हमसफर बनें

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10 May, 2009

दबे पांव...दूर कहीं



तुम कहती हो,
तुम्हारे हाथों की लकीरों में मैं नहीं।
मैं कहता हूं,
मेरे मुकद्दर की लकीरें सिर्फ तेरी हैं।

तेरे ख्वाबों में,
मैं ना सही मगर, मेरे ख्वाब में,
सिर्फ तुम ही तुम हो।

तुम गुजर गई, मेरे पास से,
तो यूं लगा मुझे,
कि जिंदगी गुजर गई,
दबे पांव...दूर कहीं।

आपका अपना
नीतीश राज

21 August, 2008

रोज ही देखा है मैंने एक ख्वाब



रोज ही देखा है मैंने एक ख्वाब
तेरा चेहरा, मेरे चेहरे के पास
उस चेहरे का मेरे चेहरे पे झुका होना
चेहरे पर चेहरा झुका होना।



वो तुम्हारा धीरे से मुस्कुरा देना
वो तुम्हारा, इतना पास देख मुझे
घबरा जाना, शर्मा जाना,
मेरा पलकों से तेरी आंखें ढक लेना।




वो मेरी तेज सांसों का
बार-बार तुम्हारे चेहरे से टकराना,
लेना महक तुम्हारी
लपेटे बाहों में तुम्हें,
और देखना
रोज की तरह ही एक ये ख्वाब।



आपका अपना
नीतीश राज