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मिले तो हैं, पहले भी हम,
फिर आज मिले, बिना आहट,
जिंदगी और हम।
जिंदगी ने पूछा मुझसे,
आकर दबे पांव।
क्यों उदास बैठा,
कहां फंसी तेरी,
जिंदगी की नाव?
मैं, एक भंवर की तरह
लाखों सवालों से घिरा,
जिंदगी की तलाश में
भटकता रहा,
मंजिल की राह में।
कब होगी मुकम्मल
ख्वाहिश संग तलाश मेरी
फिर आज मिले, बिना आहट,
जिंदगी और हम।
आपका अपना
नीतीश राज
अद्भुत मिलन गाथा!! बिन आहट!!
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