
धर्म का ना जात का
हजारों के आघात का
क्यों पनप रहा ये ज़हर
इंसानी जज़्बात का।
करता है छेद लाखों
दिल में मेरे,
जब भी देखता हूं
निशान ‘ताज’ की दीवार का।
आपका अपना
नीतीश राज
(फोटो साभार-गूगल)
मेरे शब्द हैं मेरी कविता, मेरी कविता है मेरी रूह, और शब्दों में पिरो रहा हूं, अपने और अपने शब्दों की रूह।।