यदि पसंद है तो हमसफर बनें

18 July, 2008

सांप्रदायिकता

गमों का संसार फैला है
आग का अंबार फैला है,
आज फिर किसी शहर में
सांप्रदायिकता का बुखार फैला है।

फिर जल रहा है एक शहर
उलझ के धर्मों के आडंबर में,
देखो, मेरे देश का एक राज्य
धधक रहा है शोलों में।
धूं-धूं कर जल रहा है,
घर मेरा,
भेंट चढ़ा राजनीति की।
मेरे घर के सामने जल रहा
उस नेता का भी घर
जिसने धधकाई थी चिंगारी दिल में।

इस पाक भूमि को,
किया है नापाक
अपने इरादों से
छिड़का है जहर जिसमेंअब,
जल रहा है खुद,आज,
उसका भी, अपना कोई
उसी कूंचे में,जहां जला था
कुछ देर पहले, मेरा कोई।

आपका अपना,
नीतीश राज

No comments:

Post a Comment

पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है।