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06 August, 2008

“वो भी तो चाहती थी, थाम लूं उसको”


मेरा कोई आज मिला
कुछ इस तरह मुझसे
जैसे,
डूबती नवज मिली हो
जिंदगी से।

लगता है जैसे
बात कल ही की हो।
उसे मनाने के लिए
जिस्म से पहले
हाथ बढ़ाया,
उस रिश्ते की डोर को
थामने के लिए,
जो कुछ दिन पहले
हाथ से छूट गई थी।

वो भी तो चाहती थी
आगे आकर थाम लूं
उसको अपनी बाहों में।
अकेली गुजारी शामों का
हिसाब दूं।
हर उस पल की बात करूं
जब मैं अकेला था
और,
जब हम साथ थे
ख्वाबों में।

हर उस पल की
बात करूं
जो अकेला था
सिर्फ मेरी तरह
अपने में सिमटा हुआ
उसके आने से पहले।
आपका अपना
नीतीश राज

17 comments:

  1. शीर्षक ही बड़ा कातिल है.. बहुत खूब

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  2. har us pal ki baat karun... sunder rachana

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  3. हर उस पल की
    बात करूं
    जो अकेला था
    सिर्फ मेरी तरह
    अपने में सिमटा हुआ
    उसके आने से पहले।
    "very nice creation, romantic one.liked it"
    Regards

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  4. आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
    वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी
    और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे
    बधाई स्वीकारें।
    आप मेरे ब्लॉग पर आए, शुक्रिया.
    मुझे आप के अमूल्य सुझावों की ज़रूरत पड़ती रहेगी.
    Really i like it and desirous to get your all new creations.

    ...रवि
    http://meri-awaj.blogspot.com/
    http://mere-khwabon-me.blogspot.com/

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  5. क्या बत हे अति सुन्दर, धन्यवाद

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  6. सुंदर शब्द....सुंदर भाव...सुंदर रचना....लिखते रहें...बहुत खूब.
    नीरज

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  7. हर उस पल की
    बात करूं
    जो अकेला था
    सिर्फ मेरी तरह
    अपने में सिमटा हुआ


    बहुत खुबसूरत लिखा है आपने

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  8. बहुत सुंदर. अद्भुत भाव जिसे कविता में ढालना आसान नहीं.

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  9. बेहद खूबसूरत...बहुत उम्दा...वाह!

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  10. rsundar khaskar antim char panktiyan behad achchi lagin.

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  11. बेहद खूबसूरत...
    बहुत उम्दा...वाह

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  12. मेरा कोई आज मिला
    कुछ इस तरह मुझसे
    जैसे,
    डूबती नवज मिली हो
    bahut sundar rachana.likhate rahiye. shukriya

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  13. Dear Nitish,

    Its really nice peace of work in the field of hindi literature & freedom of expression. You have expressed the feeling so well. Keep it up.

    R.S. Rawat

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