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29 August, 2008

“...तो कोई बात थी”


तेरी जुल्फ मेरे शयानों पर होती
तो कोई बात थी।
तेरा हाथ, मेरे हाथ में होता
तो कोई बात थी।


तुम कदम चंद कदम साथ चली होती
तो कोई बात थी।
मयखाना ना सही, तुम साथ होती
तो कोई बात थी।

आज अकेला चला हूं, गर तुम साथ चलती
तो कोई बात थी।
आपका अपना
नीतीश राज

फोटो साभार-गूगल

9 comments:

  1. आज अकेला चला हूं, गर तुम साथ चलती
    तो कोई बात थी।


    --बहुत खूब!!! वाह!!

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  2. थोड़ा इंतजार करते तो शायद बात बन जाती।

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  3. ऐसी बातें बिना इंतजार के नहीं बनतीं। वैसे कविताएँ बनती हैं।

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  4. बहुत सुंदर ..आज अकेला चला हूं, गर तुम साथ चलती
    तो कोई बात थी।

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  5. तेरा हाथ, मेरे हाथ में होता
    तो कोई बात थी।
    " taire anknon mey maire ankhen, taire baton mey maire bateyn,
    maire saye se bhee to miltee,
    to koee baat thee...."

    regards

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  6. तुम कदम चंद कदम साथ चली होती
    तो कोई बात थी।

    बड़ी कशिश है !

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  7. बहुत खूब नीतीश जी ! मजा आ गया !

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  8. आज अकेला चला हूं, गर तुम साथ चलती
    तो कोई बात थी।
    Kya hi badhiya kavita hai.choti si magar bhawpoorna rachna.

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  9. बहुत ही सुन्दर कविता है। बधाई हो नितीश जी

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