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16 August, 2008

क्यों दिल करता है...

क्यों दिल करता है कि कुछ लिखूं
तुमको देखते हुए कुछ लिखूं
ऐसा कुछ जो कि तुम जैसा हो
चंचल, शोख, निर्मल, मोहक।
क्यों दिल करता है याद करूं
उन सारी बातों को
जो हुईं थीं कभी हमारे साथ
अदभुत, प्यारी, विचित्र, रोचक....

क्यों दिल करता है बात करूं फिर वही
जो करता था तब भी हरदम।
लगती थी तुम को अच्छी
हम दोनों की अपनी छोटी सी बात।
आपका अपना
नीतीश राज
(फोटो साभार-गुगल)

12 comments:

  1. wah.chhoti si bat,achhi lagne waali baat,bahut sunder baat,badhai

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  2. हम दोनों की अपनी छोटी सी बात।
    बहुत सुंदर..बहुत जरूरी और प्यारी है यह बात ...

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  3. शुक्रिया .... मेरे मन की बात आप ने बड़ी खूबसूरती से कह दी. बहुत खूब.

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  4. हम दोनों की अपनी छोटी सी बात।

    बहुत बढिया लिखा आपने ! पुरानी यादें हमेशा खुबसूरत होती है ! वक्त बीतने के साथ और खुबसूरत होती जाती हैं !
    शायद इसी को .........? आगे आप कोई पूरा करे ! बहुत मजा आया ! शुभकामनाएं !

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  5. क्यों दिल करता है बात करूं फिर वही
    जो करता था तब भी हरदम।
    लगती थी तुम को अच्छी
    हम दोनों की अपनी छोटी सी बात।
    " a soft kind of poetry with emotions'liked readng it"

    Regards

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  6. आप की छोटी सी बात बड़ी अच्छी लगी ..धन्यवाद ..

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  7. क्यों दिल करता है बात करूं फिर वही
    जो करता था तब भी हरदम।
    लगती थी तुम को अच्छी
    बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई।

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  8. क्यों दिल करता है बात करूं फिर वही
    बहुत खूब नितीश जी

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  9. काहे उकसाते है लिखने के लिये …

    अभी अभी लिख के उठा, उँगलियों दर्द कर रही है और उपर से आपने यादों को छेड़ दिया
    :)

    बहुत अच्छा

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  10. बहुत अचची लगी आपकी छोटीसी बात.

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  11. नीतिश जी , जिन्दगी मे यह ** हम दोनों की अपनी छोटी सी बात ** दर्द तो देती हे फ़िर भी मिठ्ठी बहुत लगती हे, ओर शायद कभी नही भुल पाता इंसान, धन्यवाद, एक सुन्दर कविता के लिये

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  12. Vah Nitish ji bhut hi sundar rachana. badhai ho. likhte rhe.

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