यदि पसंद है तो हमसफर बनें

11 August, 2008

हमे है इंतजार उनका....


हम आंख लगाए बैठे हैं
वो आंख गड़ाए बैंठे हैं

हम आस लगाए बैठे है
वो घात लगाए बैठे हैं

हम दीप जलाए बैठे हैं
वो आग जलाए बैठे हैं

हमे है इंतजार उनका
उन्हें भी है, इंतजार उनका

देखना है असर, हमारा लाएगा रंग
या नापाक इरादे उनके

विश्वास हमारा रहेगा जिंदा, या
उठ जाएगा विश्वास हमारा।

(मध्य प्रदेश में कटनी के पास ही एक गांव में मेरा दोस्त रहता है। जब भी मेरा वहां जाना होता तो उसकी दीदी की की ये व्यथा हर रोज शाम ढलत ही शुरू हो जाती थी कि उनके पति जो कि इमानदार हैं आज घर आएंगे भी या नहीं। रो़ड कॉन्ट्रैक्टरों के खिलाफ उन्होंने आरोप लगाया था। जब से ये केस चल रहा था तो दीदी की ये धुक धुकी बनी रहती थी। दीदी की उसी उधेड़बुन पर चंद पंक्तियां।)


आपका अपना
नीतीश राज

10 comments:

  1. नीचे नोट पढ़ने के बाद पंक्तियां पुनः पढ़ीं-सटीक चित्रण. बधाई.

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  2. bahut badhiya. intajar ki wyatha ka karan use aur bhi wastw bana gaya. yahi panktiyan atankwadi aur dari dari janata par bhi fit baithati hain.

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  3. hey this is really nice, it has direct contact to heart...

    great....

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  4. aapka vishwaas jindaa rahe,aur didi ki aas bhi,bahut sunder aur sajeev shabd chitra.badhai aapko

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  5. हमे है इंतजार उनका
    उन्हें भी है, इंतजार उनका
    " wah, kya adda hai intjar kee..."

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  6. हम दीप जलाए बैठे हैं
    वो आग जलाए बैठे हैं

    अपनी बात बहुत सक्षमता से
    कहने में कामयाब रहें हैं आप !
    शुभकामनाएं !

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  7. देखना है असर, हमारा लाएगा रंग
    या नापाक इरादे उनके

    विश्वास हमारा रहेगा जिंदा, या
    उठ जाएगा विश्वास हमारा।

    बहुत सही लिखा है आपने इस हालात पर विश्वास बना रहे यही दुआ है

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  8. देखना है असर, हमारा लाएगा रंग
    या नापाक इरादे उनके........
    napak iraadon ki awdhi kam hoti hai,duaaon ka asar gahra hoga,
    bahut achhi rachna

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  9. पहिले तो हम समझे कि पहला प्रेमी के लिये है और दूसरा अपराधी(लफ़ंगे) के लिये … लेकिन नीचे लिखी बातों ने समझ को लात मार दिया :)

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